नेशनल हाईवे की तरह स्टैंडड्र्स का होगा पालन

भोपाल । मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बने 90 डिग्री ब्रिज ने पीडब्ल्यूडी की जमकर किरकिरी कराई है। राजधानी के ऐशबाग और इंदौर के एक आरओबी की गलत डिजाइन का पूरे देश में मजाक बना है। इससे सबक लेते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने अपने कार्य की गुणवत्ता सुधारने का फैसला किया है। आगे 90 डिग्री ब्रिज जैसी गलती न हो, इसके लिए पीडब्ल्यूडी नई पालिसी पर काम करने जा रहा है।


निर्माण की क्वालिटी और डिजाइन पर कैमरे से नजर
लोक निर्माण विभाग सडक़ व ब्रिज निर्माण की गुणवत्ता और डिजाइन के लिए अनुबंध के अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहा है, जिससे इसकी मॉनीटरिंग की जा सके। निर्माण क्वालिटी और डिजाइन पर नजर रखने के लिए निजी विशेषज्ञों की भी सेवाएं ली जा सकेंगी। इसके लिए बड़ी परियोजनाओं को ईपीसी मोड पर करने का निर्णय भी विचाराधीन है। इसके साथ ही पीडब्ल्यूडी में अधिक से अधिक आईटी सर्विस का उपयोग करने जा रहा है। इसके तहत अब बड़े प्रोजेक्ट पर निर्माण के दौरान कैमरे लगाकर मॉनिटरिंग भी की जाएगी।


इंजीनियरों की होगी ट्रेनिंग, बनेगा नया माड्यूल
मध्यप्रदेश शासन द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि प्रदेश के सभी इंजीनियरों की ऐफिशियेंसी एन्हांसमेंट यानी दक्षता संवर्धन किया जाएगा। उन्हें सडक़ और ब्रिज निर्माण की नई तकनीकें सिखाई जाएंगी। इसके लिए एमपीआरडीसी के टेक्निकल एडवाइजर को इंडियन एकेडमी फॉर हाईवे इंजीनियरिंग के साथ मिलकर पुलों के गुणवत्ता पूर्ण निर्माण के लिए ट्रेनिंग मॉड्यूल बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इससे भविष्य में पुल व फ्लाइओवर के निर्माण गुणवत्ता पूर्ण तरीके से किए जा सकें और उनमें गलती न हो।


नेशनल हाईवे की तरह स्टैंडड्र्स का होगा पालन
लोक निर्माण विभाग सेतु शाखा के मुख्य अभियंता पीसी वर्मा ने बताया,  अब फ्लायओवर और रेलवे ओवरब्रिज का निर्माण करते समय इंडियन रोड कांग्रेस और मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे के जियोमेट्रिक डिजाइन स्टैंडड्र्स का अनिवार्य रुप से पालन करना होगा। इसमें शार्प कर्व, ट्रांजिशन लेंथ और सुपर एलिवेशन जैसे तकनीकी बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। निर्माण से पहले और बाद में डिजाइन की जांच के लिए स्थानीय एजेंसियों के साथ समन्वय अनिवार्य होगा। वहीं निर्माण की स्वीकृति से पहले ट्रैफिक फ्लो और साइट कंडीशन का पूरा विश्लेषण किया जाएगा।